Friday, August 14, 2015

हर सवालों के जवाब और हर जबाबो के सवाल

इस बहस प्रधान लोकतंत्र में हर सवालों के जवाब और हर जबाबो के सवाल तैयार होते है । हमारे यहाँ हर भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर व्यस्था को चाक चौबंद और प्रामाणिक बनाने की बात नहीं होती बल्कि इस पर शह और मात का खेल ही ज्यादा खेला जाता है। यही वजह है की हमारे यहाँ भ्रस्टाचार की राजनीती ज्यादा होती , इसको लेकर व्यस्था जनित सवालों का निपटारा नहीं होता है। भ्रस्टाचार के मुद्दे पर NDA द्वारा यूपीए पर कोयला और टू जी के भ्रस्टाचार के आरोप लगाए गये , अब यूपीए के बीजेपी में ललित गेट और व्यापम दिख रहा है। क्या देश में इनके अलावा भ्रष्टाचार के और मुद्दे मौजूद नहीं है। गली गली शहर शहर ऑफिस ऑफिस में नित दिन भ्रष्टाचार के अनगिनत सार्वजानिक मामले क्या रोज घटित नहीं हो रहे। पर इन भ्रष्टाचारों पर हमारे पब्लिक डोमेन में चर्चा नहीं होती क्योंकि इसमें दलगत राजनीती का तड़का नहीं लगा होता।
कुछ दिन पहले एक टीवी डिबेट में NDA के दो सांसद बड़े अहंकारी भाव कहे जा रहे थे की यूपीए सरकार में घोटाले की बाढ़ आ गयी थी। इस पर जब मैंने उन्हें कहा की आप भी अगले दस साल सत्ता में रहिये, आपके टर्म में भी घोटाले की संख्या युपीए से कम नहीं होगी। इसकी वजह ये है सारी व्यस्था और तंत्र तो वही है और उसमे आमूलचूल सार्थक परिवर्तन के प्रति कोई रुझान तो मोदी सरकार में भी दिख नहीं रहा। आपको आर्थिक सुधारो के साथ साथ प्रशासनिक और राजनितिक सुधारों को साथ साथ लाना पड़ेगा। ललित गेट कांड से ये एक बड़ा सबक है की देश में सभी जनप्रतिनिधियों के लिए लोक सिफारिशें करने का एक वैधानिक दिशा निर्देश मौजूद होना चाहिए। दूसरा व्यापम के बहाने बड़ा सबक ये है की राजनीतिज्ञों से स्व विवेक निर्णय का अधिकार ले लिया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर तो कम से कम दो दर्ज़न सुधारों की अविलम्ब जरूरत है।

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