Monday, September 1, 2014

बिपन चन्द्र की मृत्यु के उपरांत कई सुधी फेसबुक मित्रो ने अपने उदगार व्यक्त किये/ चन्दरा निसंदेह भारत के सबसे बड़े इतिहास अकेदिमिसिएन थे / वह इसलिए की उनका रिसर्च बहुत बड़ा था / पर कई मित्रो ने बिपिन चन्द्र द्वारा भारत के धर्मनिरपेक्षता की ऐतिहासिक व्याख्या की जो मिसाल दी है वह मिसाल कोई तार्किक तारतम्यता और ऐतिहासिक घटनाक्रम के अनुकूल न होकर वह चंद्रा की उनकी अपनी निजी राजनितिक IDEALISM के प्रति आसक्ति के प्रभाव में आकर की गयी मनगढंतवाद व्याख्या ज्यादा लगती है / मसलन सम्राट अशोक और अंग्रेज का पराभव उनके सेक्युलर मूल्यों को त्यागने की वजह से हुई, यह तुलना ऐतिहासिक घटनाओ की पृष्ठभूमि पर बिना मंथन के की गयी लगती है /
अशोक के समय कोई बहुधर्मी समाज और उनमे तनाव का कोई समकालीन परदृश्य नहीं था/ उस समय राजनितिक पटल पर विभिन्न रियासतो में विस्तारवादी महत्वाकान्छा का दौर था /कलिंग के युद्ध में भरी खूनखराबे ने अशोक को इस कदर द्रवित कर दिया की वह बौद्ध धर्म के अहिंसावाद से प्रभावित होकर उस धर्म को स्वीकार किया और उस धर्म को राज्याश्रय प्रदान किया और उसके देश देशान्तर में प्रचार को भी अपने पुत्रो द्वारा अंजाम किया/ इसमें कोई दो राय नहीं की बौध धर्म को लगातार राज्याश्रय मिला और वह धर्म समूचे दक्षिण ,दक्षिण पूर्व , पूर्व और उत्तर पूर्व एशिया में प्रसारित हुआ / ठीक इसी तरह से इस्लाम को भी भारत सहित कई देशो में राज्याश्रय मिला/ सम्राट अशोक की इस पहल की अकबर के दिने इलाही से तुलना जरूर की जा सकती है न की औरंगज़ेब के ज़ज़िआ टैक्स से / बल्कि अशोक का यह कृत्य तो एक मूल्यों से परिपूर्ण नवगथित धर्म के प्रति राज्यकर्षण था परन्तु बक़ौल चंद्रा इसे गैर सेक्युलरवाद की मिसाल बताना बेहद अटपटा और बेतुका था/ सेकुलरिज्म एक बेहद आधुनिक और बैज्ञानिक अवधारणा है जब बहुत सारे संगठित धर्म से परिपूर्ण समाज हो तब उस समाज को शासित करने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है/ बौध धर्म ने अपने मूल्यों से राज्याश्रय प्राप्त किया और इस्लाम ने अपने कथित अच्छाइयों को भी तलवार के बल पर प्राप्त किया / बौध धर्म में इस्लाम की तरह हिंसा होती तो तिब्बत के बौद्ध भी आतंकवाद में तल्लीन होते/ भारत के पुरातन इतिहास में सेकुलरिज्म की जो परिकल्पना चन्द्र साहेब कर रहे है वह सेकुलरिज्म नहीं सर्व धर्म संभाव् था और आज इस पर जो खतरा उत्पन्न हुआ वह देश के सांप्रदायिक विभाजन से हुआ है और रही सही कसर कुछ मुर्ख धर्मावलम्बिओं की धार्मिक उच्छृंखलता ने पूरी की है /

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