Friday, August 29, 2014

आप पार्टी का कन्वेंशनल मीडिया और सोशल मीडिया दोनों में अब उतना नोटिस नहीं लिया जा रहा है / जब यह पार्टी अस्तित्व में आई और बहुत से अपरिपक्व परिवर्तनकारी लोग इसके बेहद दिवाने बने हुए थे, उस दौरान भी में इनका कटु आलोचक था और तबसे लेकर लोकसभा चुनाव तक मैंने अपने ब्लॉग कॉलम से लेकर fb पोस्ट तक में इनके बारे में शायद सबसे ज्यादा लिखे/ कई लोग इस आलोचना पर मुझे मोदी का समर्थक समझ जाते पर हकीकत में मोदी के ऐठन और अति महत्वकांछा का उतना ही विरोधी / टीवी चैनेलो पर इनके खिलाफ मैंने दर्जनो कार्यक्रम में तगड़ा प्रतिवाद किया था / आप जैसे पार्टी के गठन के मूल सिधान्तो का मैं बहुत बड़ा पैरोकार हु / परन्तु आप के प्रति मेरा बुरा रवैया इनके चौकड़ी नेताओ के बौद्धिक सैद्धांतिक और विज़न के दिवालियेपन से उपजा जो परिवर्तनकारियों की पृष्ठभूमि होने की वजह से इनसे ज्यादा अपेक्षित थी/ परन्तु ये लोग कन्वेंशनल राजनीती करने वाले लोगो से भी ज्यादा पैतरेबाज और खिलाडी साबित हुए,ऐसे में इनके प्रति रोष उभरना स्वाभाविक था/ भ्रस्टाचार की रोकथाम को लेकर भी इनके पास मौलिक सोच और दीर्घकालीन एजेंडा नहीं है/ इन्होने ये माना सड़क एक्टिविज्म ही बदलाव का सबसे बड़ा सूचक और जनसमर्थन ही हमारी कसौटी है / मेरी समझ से वैचारिक परिवर्तन सबसे बड़ा परिवर्तन है और आदर्शवाद को जनसमर्थन मिले या नहीं, उस पर कभी समझौता नहीं होना चाहिए / लोकप्रियता ऊपर जाती है तो नीचे भी जाती है मोदी को बहुत बड़ा समर्थन मिला पर इससे मै मोदी का सम्मान करना लगा हु ऐसा नहीं है / यूपीए की पहचान की राजनीती, लोकलुभावन योजनाओ तथा 1960 देश में चले आ रहे भ्रस्टाचार पर इस पार्टी द्वारा कोई मौलिक पहल नहीं करना हमेशा निंदनीय रही है परन्तु मई अभी भी मानता हु की मोदी जल्दबाजी में बीजेपी के पीएम बने है / मोदी के अंध समर्थक परेशान ना हो मोदी ने अबतक अपना काम ठीक और अपेक्षित तरीके से किया है / मेरी निष्पक्ष दृष्टि तो यही कहती है

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