Monday, November 30, 2015

प्रधानमंत्री भारत की एकता के लिए नए स्लोगन और नए सुझाव की तलाश में है। निसंदेह यहाँ के निवासी राष्ट्रवाद और देशभक्ति से जब तक ओतप्रोत नहीं होंगे तब तक किसी भी सैद्धांतिक अवधारणा से यह एकता संभव नहीं ।
इस देश का सांप्रदायिक आधार पर हुआ विभाजन इस देश की एकता पर पहले ही एक बहुत बड़ी लकीर खीच चूका है। परन्तु अब देश की ना केवल एकता बल्कि खंडित भारत का पुनः अखण्डीकरण और इस देश की एकता की सबसे बड़ी सम्बल धर्मनिरपेक्षता ही है। यह एक ऐसा बिंदु है जो न केवल गुड गवर्नेंस का एक बेहतरीन एलिमेंट है बल्कि देश की एकता और इसकी पुनरेकीकरण का एक बहुत बड़ा अश्त्र।
विडम्बना यह है की इस विभाजित भारत में भी धर्मनिरपेक्षता महज एक सैद्धांतिक अवधारणा बनी हुई है। इसे देश की हर पार्टियों ने या तो बहुसंख्यक के नाम पर या अल्पसंख्यक के नाम पर इस अवधारणा को तार तार किया है। देश की सारी पार्टियां नीति और नीयत से इसका मखौल उडा रही है। हैरत तो तब होती है जब इस धर्मनिरपेक्षता या सेकुलरिज्म शब्द के असल मायने देखने के बजाये इसके शाब्दिक अर्थ का ज्यादा विश्लेषण होता है।
अरे भाई सेकुलरिज्म का सीधा मायने ये है की राज्य किसी भी धर्म या संप्रदाय की गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा और न किसी धर्म के प्रति राग रखेगा न द्वैष। यानी उसकी स्थिति बिलकुल निरपेक्ष होगी। अगर इस शब्द का नाम पंथनिरपेक्षता देते है तो तब भी ठीक। परन्तु धर्मनिरपेक्षता नाम इसीलिए चलन में है क्योंकि हम सभी संगठित पन्थो को चलन में धर्म का ही नाम देते आ रहे है। जबकि धर्म का मर्म किसी संगठित पंथ के बजाये सचाई ,नैतिकता और पवित्रता से होता है। इस बात को हर राज्य के लिए अपनाने का कोड ऑफ़ एथिक्स होना ही चाहिए, उससे किसी को एतराज क्यों बल्कि ख़ुशी ही ज्यादा होगी। परन्तु जब तक पूरी दुनिया में पन्थ का नाम रिलीजन होगा तबतक धर्मनिरपेक्षता शब्द का ही प्रयोग होगा।
भारत की एकता पर दूसरा सबसे बड़ा खतरा देश के सभी राजनितिक पार्टियों द्वारा अपनायी जाने वाली पहचान की राजनीती। जब तक देश के राजनितिक दलों को पहचान की राजनीती करने से प्रतिबंधित नहीं किया जायेगा और गुड गवर्नेंस की राजनीती करने के लिए बाध्य नहीं किया जायेगा ,तब तक देश की एकता पर जाती ,धर्म ,भाषा और प्रान्त के खतरे हमेशा मंडराते रहेंगे।
देश की जातीय ,सांस्कृतिक और रहन सहन की विभिन्नता को विभिन्नता शब्द देने के बजाये इसके लिए सम्पन्नता और वैरायटी शब्द देना ज्यादा बेहतर होगा।
चौथा देश की एकता के लिए एक कानून, एक शिक्षा प्रणाली ,एक बुनियादी सुविधा और एक समान अवसर को शब्दों और भावो में नहीं बल्कि पुरे सिस्टम में संरचनातमक रूप से स्थापित करना होगा।

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