Friday, November 20, 2015

कहिये नितीश बाबू कैसा लग रहा है। जिस बंशवाद ,भ्रष्टाचारवाद और कॉंग्रेस वाद के आप अनवरत खिलाफ रहे आज उन्ही के साथ गलबहियाबाजी कैसी लग रही है। पहले ही दिन बंशवादी राजनीती के नायाब नमूने का स्वाद कैसा लगा। भोजपुरी संस्कृति के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर और गवई शैली की राजनीती के तौर तरीकेकार के तौर पर लालू का मै जरूर समर्थन करता हु अन्यथा एक राजनीतिज्ञ के रूप में उसे भारतीय राजनीती का सबसे गन्दा आदमी मानता हु। हमलोग उसमे से नहीं की राजनीती में उगते सूरज का नमस्कार और डूबते सूरज का तिरस्कार करें। हर अच्छी सच्ची सिद्धांत और आदर्श चाहे जिस व्यक्ति और पार्टी से जुडी है चाहे उसकी जय हो या पराजय उसका समर्थन करना हमारी फितरत है। बहरहाल जिस तरीके से आठवे नौवे पास लौंडे लपेड़े को उपमुख्यमंत्री पद दे दिया गया, सामाजिक न्याय के लोकतंत्र का क्या गज़ब पारिवारिक न्याय है। यह ठीक हुआ की एक अधिनायकवादी और व्यक्तिवादी शैली के राजनीतिबाज को बिहार चुनाव से तगड़ा तमेचा लगा. परन्तु इसके बरक्श बिहार में आज जो ताजपोशी हुई वह घोर निराशाजनक है । मध्युगीन सामंती दौर का यह आधुनिक खानपूर्तिवादी लोकतंत्र बिहार के सामने एक बार फिर से बेहद स्याह तस्वीर खड़ा कर चूका है। वह नितीश जो बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी के साझेदार की हाथे मरोड़ कर अपनी एक एक बाते मनवाते थे आज पहले ही दिन कोम्प्रोमाईज़ की चासनी चाटते नज़र आये।

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