Friday, August 29, 2014

 मध्यप्रदेश से आई एक बड़ी दिल दहला देने वाली खबर अख़बार में पढ़ी, एक माँ ने रेल लाइन पर आ गयी अपनी एक बच्ची को बचाने के लिए अपनी और अपने गोद में पड़ी एक और बच्ची की जान की बाजी लगा कर उस बच्ची को तो बचा लिया पर अपनी जान गवा दी / कुछ दिन पहले ही एक ऐसी ही खबर आई थी की जर्मनी में एक महिला ने रेल ट्रैक पर आ गए अपने बच्चे को उस ट्रैक पर आ रही गाड़ी के आने के सेकंड के भीतर बड़े फुर्तीले अंदाज में बचा लिया/ खैर यूरोपीय महिला की तरह हमारे गांव की वह महिला समार्टनेस नहीं दिखा पायी पर इस घटना ने मेरा मन बेहद मलिन कर दिया/ मेरे लिए देश का सबसे बड़ा और सबसे अर्जेंट इशू इस देश में नो टॉलरेंस तो एक्सीडेंट्स की स्थिति बहाल करना है बल्कि देश में नो टॉलरेंस टू करप्शन से भी ज्यादा/ करप्शन पर में पिछले कई दशक से काम कर रहा हु , परन्तु पहले तो लोगो की जान बचे उसके बाद लाख उपाय है / भ्रस्टाचार का नाश हो , गरीबी का नाश हो / पर दुर्घटना चाहे वह सड़क पर हो, रेलवे में हो, हवाई यातायात में हो या नौका में हो जिसे मैं मानवजनित आपदा मानता हु, जिसका बचाव अपने हाथ में है चाहे वह सावधानी भरा बचाव हो या त्वरित रूप से राहत देने के रूप में हो / मैंने दिल्ली में देखा है कैसे ब्लू लाइन और कई मनमौजी ड्रायवरों की वजह से कितने नौनिहालों और इंसानो की असमय मृत्यु हुई है, फिर भी इन नरपिशाची लोगो का स्वभाव नहीं बदला और दुर्घटनाओ का सिलसिला अभी भी जारी है / इसी तरह बात करे प्राकृतिक आपदा की जो अपने हाथ में नहीं है भूकम्प , तूफान,साइक्लोन,बाढ़,सूखा, भूस्खलन, इन पर नो टॉलरेंस टू डिले ओवर रिलीफ ऑपरेशन बहाल करने की जरूरत है / मानव जनित सड़क, रेल और हवाई दुर्घटना से भारत में हर साल 1.3 लाख लोग काल कलवित हो रहे है उसी तरीके से भारत के बहु विविध भौगोलिक स्वरुप होने से प्रायः हर समय कोई न कोई आपदा आती रहती है, पर इसके राहत में हमारा सिस्टम फुल अलर्ट और फूल प्रूफ नहीं हो पाया है / भारत में इस दोनों मानव जनित आपदा और प्राकृतिक आपदा पर होने वाला डिजास्टर मैनेजमेंट किसी भी सरकार की संवेदनशीलता की सबसे बड़ी कसौटी होनी चाहिए

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