Monday, August 11, 2014

कुछ लोग ऐसे है जो अपने धर्म की कई अच्छाइयों को इग्नोर कर उसकी बुराइयों को विशेष रूप से हाईलाइट करते है और दूसरे धर्म की कई बुराइयों को इग्नोर कर उसकी कुछ अच्छईओं को ज्यादा हाई लाइट करते है / क्या उनकी नजर में ऐसा करना ही सेकुलरिज्म कहलाता है / पर मेरी समझ से सेकुलरिज्म का मतलब किसी भी संगठित धर्म के उपादानों से किसी भी पब्लिक डोमेन को बिलकुल विमुक्त रखा जाना है / सार्वजनिक जीवन में किसी भी धरम केप्रति न तो आग्रह और न ही दुराग्रह और न ही किसी भी धर्म की पोस्टरिंग से अपने आप को बिलकुल मुक्त रखना मेरी नजर में सेकुलरिज्म है /
परन्तु मई जानना चाहता हु की क्या उपर्युक्त तरीके के लोग ऐसा क्रियाशीलता किसी सनकी भरे बौद्धिक फैशन में या किसी खास धार्मिक पहचान के वोट बैंक की राजनीती के तहत करते है या ये लोग सच में किसी आत्म आलोचना या पर बड़ाई की महानता का प्रदर्शन करते है/ पर मुझे लगता है ऐसे प्रवृति के लोग धर्म के आधार पर नहीं मानवता के आधार पर महानता दिखाए तो उसका औचित्य समझ में आता है / मेरी समझ से जिन्हे धर्म के तुलनातमक अध्यन में रूचि है उन्हें सभी धर्मो का समाजविज्ञानी तरीके से अध्यन करना चाहिए ना की किसी धार्मिक नेता के तौर पर / हर धरम में आंतरि क सुधारो को लेकर खुली बहस होनी चाहिए /सेकुलरिज्म एक महान वैज्ञानिक और सर्वकालीन बेहतरी का शब्द है पर दुर्भाग्य से भारत में कोई भी पार्टी इसे फॉलो नहीं करती है /

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