Monday, August 25, 2014

लव जिहाद व  महिला निशानेबाज के साथ शादी और धर्म परिवर्तन के सवाल पर कई लोगो की प्रतिक्रिया खासकर उन पत्रकारों की प्रतिक्रिया जो अपने कथित विचारधारा के शिंकजे में रहकर ज्यादा, इसके वस्तुनिष्ठ विश्लेषण से नदारद होकर जो आई है मैं भी इस पर कुछ लिखने के लिए प्रेरित हुआ हु /  सभी धर्मो में मौजूद जातिवाद के विषबीज और धर्मनिरपेक्षता के तकाजे को देखते हुए यह सही है की हम अंतर्जातीय शादी और आपस में सहमति हो तो अंतर्धर्म शादी को इजाजत दे /पर समाज सुधार का यह एजेंडा एकपक्षीय धार्मिक पाखंडो और कट्टर स्वार्थी  अजेंडो से संचालित हो तब तो यह स्थिति बेहद खतरनाक है /  साम्प्रदायिक आधार पर बटवारे से दो अलग इस्लामिक देश बनाने के बाद और हिन्दू बहुसंख्यक देश  भारत के एक सेक्युलर  होते हुए भी  यदि यहाँ अल्पसंख्यक मुस्लिम अपने धार्मिक अजेंड़ो को प्रेमशास्त्र के दुःसाहसी तरीके से संचालित करते हो और इसके बाद भी यह कहा जाता हो की यहाँ अल्पसंखयक डरा हुआ है तो यह कुछ लोगो का राजनितिक सच वास्तविक रूप से बहुत बड़ा झूठा तथ्य है / सेकुलरिज्म का यह बहुत बड़ा तकाजा है हर धर्म की गतिविधि को राजकाज से बिलकुल अलग रखा जाये साथ ही सेकुलरिज्म का यह भी तकाजा है की किसी धर्म को अपनी मार्केटिंग करने की भी छूट नहीं दी जाये /
क्या यह सही नहीं है की भारत में हिन्दू लड़के और मुस्लिम लड़की  की शादी का रेश्यो बिलकुल कम है और हिन्दू लड़की की और मुस्लिम लड़के की शादी का रेश्यो बहुत जयादा, यह रेश्यो करीब ८० २० के करीब है / पर दोनों ही स्थिति में हिन्दू लड़की हो या हिन्दू लड़का दोनों अपने धरम परिवर्तन के लिए बाध्य होते है और यह स्थिति दोनों की पहली शादी में ही दिखाई देती है  /  मुस्लिम लड़की किसी हिन्दू लड़के से शादी करे यह तो मुस्लिम समाज कल्पना में भी नहीं सोचता / क्या यह सही नहीं है की पाकिस्तान में बचे हिन्दुओ खासकर दलित भाइयों का  धर्म परिवर्तन कर दिया गया या उनकी लड़कियों से जबरन शादी कर  धर्म परिवर्तन करा किया गया / मेरठ के दंगे के मूल में भी यही था जब एक हिन्दू लड़की से छेरखानी की गयी और वह शोला भरक गया / 
फिल्म वर्ल्ड में अतरधर्म शादी के मामले में प्रगतिशीलता जरूर दिखाई देती है जहा आम तौर हिंदू मुस्लिम बिना किसी शर्त के शादी करते रहे है / परंतु यहाँ भी मुस्लिम धर्म का अपना धार्मिक आग्रह ज्यादा दिखता है / मिसाल के तौर पर फिल्म स्टार इमरान खान का पिता हिन्दू और उसकी माँ मुस्लिम पर इमरान ने पिता के परंपरा से अलग मुस्लिम धर्म को अपनाया / ऐसा वाक्या  शायद ही मिले जब हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की संतान ने हिन्दू धर्म को अपनाया हो / मकसद ये है शादी हिन्दू लड़की से करेंगे पर धर्म मुस्लिम ही अपनाएंगे, यह कहा से धार्मिक सौहाद्र है / 
ऐसे में लव जिहाद का जो मुद्दा उठाया गया है उसके मूल में जाने पर वैसे कट्टर धर्मांध मुस्लिम सीधे सीधे एक्सपोस हो जाते है / मैं  उन बौद्धिक और प्रगतिशील मुस्लिम भाइयों से कहना चाहूंगा की आप अपने धर्म की सही समीक्षा करे और साथ ही मुस्लिम धर्म में आतंरिक सुधारो को हवा दे आखिर यह धर्म पूरी दुनिया में तमाम फसादो में क्यों उलझा हुआ है / यह एक तथ्य है न की संघ का एजेंडा / इसी  तरह से हिन्दू धर्म में जातीय विद्वेष और जातीय आग्रह दुराग्रहों को लेकर काफी कुछ करने की जरूरत है परन्तु हिंदू धर्म में सुधारो को लेकर खिड़किया खुलती जा रही है / अंत में मै उन हिन्दुवादियो से आग्रह करता हु जो धर्मनिरपेक्षता की भर्त्सना करते है / ऐसा कर वे हिंदुत्व की असली ताकत को मलिन करते है /  धर्मनिरपेक्षता तो सबसे पहले अप्रगतिशील मुस्लिम धर्म को एक्स्पोस करता  है जिनके मूल में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का कांसेप्ट नहीं है / दुनिया के किसी इस्लामिक देश में ये दोनों चीजे नदारद है / भारत में यूनिफार्म सिविल कोड तो सेक्युलर एजेंडा है परन्तु जो इसका विरोढ करता है वह सेक्युलर बन जाता है और गंगा उलटी बहाई जाती है/ जो लोग सेकुलरिज्म की सोच केवल राजनीती तक ही सिमित करते है उन्हें मैं कहता हु की आप हर तरह की पहचान की राजनीती का विरोध करो/ आप नेताओ के रोजा इफ्तार का भी विरोध करे और होली मिलन समारोह का भी / न तो हज सब्सिडी दे न ही तीर्थयात्रा कराये/ मदरसे के बजाये सबको एक स्कूल और कॉलेज में पढ़ाये / ये सभी बाते वैज्ञानिक सच है पर मुस्लिम समाज और उन्ही के नक़ल में कुछ खडे कट्टर हिन्दू समाज के लोगो को यह बात नागवार लगेगी /  

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