Thursday, March 17, 2016

पुरे दुनिया के पटल पर मुझे गांधी से बड़ा ना तो कोई हिन्दू दिखता है न ही उनसे बड़ा कोई सर्वधर्म संभावी दिखता है और ना ही उनसे बड़ा इस्लामिक मान्यताओ को सम्मान देना वाला ना ही उनसे बड़ा कोई समतावादी, ना ही उनसे बड़ा अछूतोद्धारी , ना ही उनसे बड़ा मानवतावादी और ना ही उनसे बड़ा जनवादी। पर फिर भी ये सभी वादी मसलन वामपंथी , दक्षिणपंथी , मध्यमपंथी , अम्बेडकरपंथी , मनुपंथी , इस्लामपंथी , हिंदूपंथी सब के सब उनके विरोधी है। यह तो इतिहास जनता है की देश के बिभाजन से किसको सबसे ज्यादा पीड़ा हुई , पर एक बेवकूफ और उन्मादी को यह समझ नहीं आया। वह यह नहीं समझ पाया की जिस जिन्ना ने कांग्रेस के नेहरू पटेल को मजबूर कर माउन्ट बैटन से बिभाजन की रुपरेखा तैयार की उसदिन गांधी अपने जीवन का सबसे बड़ा दुःख दिवस मना रहे थे। वह यह नहीं समझ पाया इस बिभाजन का सबसे बड़ा खलनायक कौन था। गांधी माउंटबेटन से मिले पर वह अपने डेढ़ घंटे की मुलाकात के बाद इस 78 साल की उम्र में फिर जनता के बीच जाऊ , यह सोच ही रहे थे तबतक देश सांप्रदायिक दावानल में बुरी तरह से घिर चूका था। तब वह अपने मानवतावादी रोल में आ चुके थे। माउन्ट बैटन ने उनके बारे में यही कहा बुद्ध और ईशा मसीह के बाद इस दुनिया में कोई शक्श पैदा हुआ तो यह गांधी था।

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