Saturday, October 11, 2014

भारत के बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के करता धर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान में बालिका शिक्षा की छात्र कार्यकर्त्ता मलाला यूसुफजई को दिया गया शांति का नोबेल पुरुस्कार बाल अधिकारों के प्रति अंतर्राष्ट्रीय भावना को तरजीह देने के प्रतीकवाद का परिचायक है/ दुनिया के कई देश भारत का माल इसीलिए नहीं खरीदते क्योकि इसका उत्पादन बाल श्रम  के जरिये किया गया किया होता है / इसी तरीके से अंतर्राष्ट्रीय जगत में यह आम धारणा है की इस्लामिक देश लड़कियों को पढाने लिखाने से हतोत्साहित करते है/ ऐसे में पाकिस्तान जैसे मजहबी कट्टर देश में मलाला जैसी लड़की का आतंकवादियों की धमकियों से बेपरवाह होकर अपनी शिक्षा को अपनाना और अन्य लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना उन्हें नोबेल कमिटी की नजरो में इस पुरुस्कार का हक़दार बनाता है / भारत के प्रतिनिधि और पाकिस्तान के प्रतिनिधि दोनों का यह प्रतिकात्मक कार्य नोबेल कमेटी  की नजरो में इन्हे बालअधिकारो का चैंपियन ठहराता है / भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के नजरिये से देखें तो इन देशों के लिए यह बहुत बड़े सम्मान की परिघटना है /
अब हम बाल अधिकारों के लिए हो रहे तमाम कार्यो का औचित्य निरूपण करे तो सबसे पहले भारत में बाल श्रम को कुरीति कहना ही तकनीकी रूप से गलत है /  भारत के लिए बाल श्रम यहाँ के करोङो परिवारो की आर्थिक मजबूरी व निर्धनता की एक परिणति है/ बाल विवाह कुरीति हो सकती है पर बाल श्रम तो जीने के अधिकार से जुड़ा है/ जो पैदा हुआ है वह जीने के लिए तो संघर्ष करेगा ही , यदि उसके माँ बाप और परिवार उस बच्चे की परवरिश करने में बेबस है / बाल श्रम को कुरीति और गैर कानूनी बताकर कुछ चंद बच्चो को बचपन बचाओ का टी शर्ट पहनाकर देश के करोङो बच्चो की हकीकत नहीं ओझल होने वाली है / इस समस्या का मूल निदान उन सभी गरीब व अनाथ बच्चो की परवरिश और पढाई लिखाई के बोझ से उनके माँ बाप और अभिभावकों को मुक्त रखने में छिपा है/ इस दिशा में सबसे पहले यदि किसी ने गंभीर प्रयास किया तो वह पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंग राव थे जिन्होंने 1993 में देशभर में सभी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना इस मकसद से शुरू की जिससे गरीबो के बच्चों को स्कूलों में आकर्षित किया जाये और ड्रॉपआउट बच्चो को बाल श्रमिक बनने से रोका  जाये / आज भी यह योजना पूरे तौर पर सफलीभूत नहीं हो पायी है अन्यथा भारत में बाल श्रम पर कुछ हद तक जरूर अंकुश लग जाता / परन्तु बाल श्रम के कड़े प्रतिबंधक कानून के बावजूद भारत में इस पर रत्ती भर भी अंकुश नहीं लग पाया है / आज और अभी भी राजधानी दिल्ली में मोटर गराजो, ढाबों, हाकर के कार्य में लाखो बच्चे काम करते मिल जायेंगे/  ऊँची विकास दर से देश की सामाजिक आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है पर परिवारो की बेहतर स्थिति तो मानव विकास और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओ से जुडी हुई है/ बहरहाल मलाला को दिया गया यह पुरुस्कार मजहबी और जेहादी मानसिकता के देशो और  कट्टरपंथी लोगो के मुह पर तमाचा है जो मानव विकास के काम को भी धार्मिक और शरीअत कानून से जोड़कर चलते है /   

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