Tuesday, September 29, 2015

नमो मंत्रिमंडल में मुझे नितिन गडकरी फेंकूबाज मंत्रियों की सूची में नंबर एक लगते है। हालाँकि गडकरी पर मोदी अरुण जेटली की तरह मेहरबान नहीं है अतः उन्हें अपने मंत्रालय का कार्य फूक फूँककर ही करना पड़ता होगा आखिर मोदीजी की दृष्टि उनपर कब सु से कु में बदल जाये। बहरहाल गडकरी जितना काम नहीं करते उससे ज्यादा उसकी पब्लिसिटी कर देते है। योजना को अमल में लाने से पहले उसका एलान एडवांस में ही कर देते हैं। गडकरी जी कई चैनलों पर इंटरव्यू देते दिखाई देते है। सबसे पहले राजमार्गो पर दुर्घटना रोकथाम को लेकर उनका कोई संवेदनशील ड्राफ्ट अभी तैयार नहीं हुआ। देश के सभी परिवहन कार्यालयों को भ्रष्टाचार मुक्त करने की उनकी मुहिम सिर्फ घोषणाबाजी ही रह गयी। पहले उनके द्वारा यह कहा गया था की टोल प्रथा खत्म की जाएगी और वाहन की खरीद के वक्त ही उसपर भारी शुल्क लगाकर सड़क निर्माण का फण्ड तैयार किया जायेगा। पर टोल वसूली की वह रंगदारी प्रथा खत्म तो नहीं हुई। बल्कि कोट के क्षतिग्रस्त और unmainatined राजमार्गो पर टोल वसूली नहीं किये जाने के निर्देश के बावजूद भी वहाँ सरेआम टोल वसूली हो रही है। अब तो गडकरी निर्लज्ज होकर यह कह रहे है की टोल बंद नहीं होगा बल्कि कई और मार्गो पर लगाया जायेगा।
आधारभूत सुविधाओं पर सरकार द्वारा यूजर चार्ज लेना गलत नीति नहीं है पर वह नीतिसम्मत तो हो. आखिर गडकरी जी देश में राजमार्गो के निर्माण और संचालन के लिए एक राष्ट्रीय टोल नीति क्यों नहीं लाते जिससे वाहनो पर वाजिब शुल्क लगे और राजमार्गो के रखरखाव को लेकर कोई कोताही भी न बरती जाये। अभी टोल चार्जेज की आरोपित मात्रा बेहद ज्यादा है। क्या यह टोल ठेकेदारो द्वारा मनमाने तरीके से लूटा जा रहा है या कोई इसका नियामक प्राधिकरण भी होगा। बताया जाता है की एक ट्रकर्स को यूपी की एक सीमा से दूसरी सीमा पार करने में दस हज़ार की रिश्वत खरचनी पड़ती है। क्या गडकरी जी इसे खत्म कर पाएंगे या इसको लेकर कोई प्रभावी पहल भी दर्शा पाएंगे! अगर वह ऐसा नहीं कर पाते है तो फिर काहे की है यह govt with difference मोदी सरकार।

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