Friday, December 19, 2014

पाकिस्तान के पेशावर में हुआ आतंकी वारदात दो मामले में टर्निंग पॉइंट हो सकता है/ पहली बात की वारदात को जहा अंजाम दिया गया वह पाकिस्तान आर्मी बच्चो का स्कूल था/ वह आर्मी जो पाकिस्तान में आतंकवाद को अपनी सत्ता के सामानांतर शक्ति के रूप में अब तक इस्तेमाल करती रही थी ,वह आतंकी जमात अब बदली हुई परिस्थितियों में अपने उसी आका पर आग बरसा चुकी है और इस मसले पर मिया की जूती मिया के सिर पर वाली कहावत चरितार्थ हुई है/ परन्तु इसके साथ ही यह भी तथ्य है की पाकिस्तानी आर्मी के लिए पाकिस्तान के पश्चिम की आतंकी पालिसी कुछ और है पाकिस्तान के पूरब की आतंकी पालिसी कुछ और है/ हो सकता है पाकिस्तानी मिलिट्री की पश्चिम पालिसी अमेरिका को खुश करने के लिए बनायीं गयी है जिसका उसका अंजाम उन्हें आर्मी स्कूल पर अटैक के रूप में देखने को मिला है/ पर इससे जरूरी नहीं पाकिस्तानी सेना पूरब के लिए बनायीं पालिसी बदल ले / पर नयी आतंकी घटना से पाकिस्तान के आतंकी रणनीतिकारों का जिस तरह से मनोबल गिरा है, उसे इस मसले पर हाफिज सईद के यह बयान की इस आतंकी वारदात को भारत ने करवाया है, दरअसल यह पाकिस्तानी मिलिट्री के गिरे मनोबल को राहत देने का प्रयास है / लेकिन हाफिज के इस कदम को भी विफलता मिलेगी क्योकि पाकिस्तान की जनता अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी जबरदस्त आवाज़ बुलंद कर रही है / दूसरी बात की आतंकी घटना में बूढ़े मरे या जवान, बच्चे मरे या महिलाये, निर्दोष मरे या पत्रकार , जान जान ही ही होती है / पर पाकिस्तान में पिछले सालों में घटित असंख्य आतंकवादी वारदातो में यह आतंकी वारदात अलहदा है क्योकि यह हमला पाकिस्तान के नौनिहालों पर हुआ और इस आतंकी वारदात पर न केवल पाकिस्तान बल्कि भारत सहित दुनिया के तमाम देशो से पाकिस्तान को काफी ज्यादा सहानुभूति मिल रही है/ गौरतलब है कि इन्ही नौनहालो के एक मुकम्मल प्रतिनिधि मलाला को अभी अभी नोबेल शांति पुरुस्कार मिला/ ऐसे में पेशावर की यह वारदात पाकिस्तान के आतंकी नियामकों को उनके इस कृत्य पर सोचने को मज़बूर करेगा और भारत इन सभी घटनाओं पर अपनी पैनी निगाह रखना चाहेगा/
पेशावर की इस घटना का जो दूसरा टर्निंग पॉइंट मुझे समझ में आता है वह है धर्म आधारित आतंकवाद के मर्म की लोगो द्वारा समझे जाने की शुरुआत/ आतंकवाद और धर्म दोनों ऐसे शब्द ऐसे है जिसके असली अर्थ और असली भाव अलग अलग है/ धर्म शब्द का अर्थ है अच्छी, सच्ची पवित्र और नैतिकता का मिला जुला रूप रूप पर यह शब्द प्रयुक्त होता है उन संगठित समूहों लिए जो ईश्वरवाद की विवेचना का माया संसार रचने में लगे है और इस आधार पर इन गठित समूहों में रेस लगी है/ एक तरह इन ट्रेडमार्क धर्मो में ये जमात या पंथ या फोरम पूरी दुनिया में तमाम विप्लवों, सामाजिक तनावों और हिंसक वारदातो को अंजाम दे रहे है / इसी तरह से आतंकवाद शब्द कभी राजनितिक लक्ष्य हासिल करने या कभी उपनिवेशवाद के खिलाफ के हथियार के रूप में प्रयुक्त हुआ / भारत की अज़ादी की लड़ाई की मुख्य भागीदार कांग्रेस पार्टी का एक तबका गर्म दल के रूप में जाना जाता था जिसे ब्रिटिशर्स आतंकवादी कहते थे / अंग्रेजो की नज़र में ये आतंकवादी थे , पर इनका मकसद राजनितिक आज़ादी था / बीसवी सदी के अंतिम सोपान में लिट्टे , हमास , अलकायदा ,तालिबान , आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठन अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर आये/ पर लिट्टे जैसे संगठनो ने अपने आतंकी करतूत में अपने धर्म को कभी नहीं घुशेड़ा/ इनका मकसद राजनितिक गोल प्राप्त करना ही था / परन्तु तालिबान , अलकायदा और ISIS तो अपने आतंकी करतूतो को अपने धर्म आवरण में ही अंजाम दे रहे है / परन्तु जब लोग ये जान जायेंगे की ईश्वरवाद की प्राप्ति के लिए किसी जमात या पंथ या किसी फोरम वाले ट्रेड मार्क धर्म अपनाने की जरूरत नहीं है तब धर्म जिहाद करने वाली आतंकी संगठनो की चूलें जरूर हिल जाएँगी/ ISIS का गाला काटो अभियान लोगो को उद्वेलित नहीं कर पाया पर पेशावर के १३० बच्चो का कत्ल पुरे दुनिया में धार्मिक तांडव करने वाले को पूरी तरह से एक्सपोज़ करेगा / यानी इस घटना से दूसरा टर्निंग पॉइंट मुझे जो दिख रहा है वह है धर्म आधारित आतंकवाद के असली मर्म की लोगों में समझ अाने की शुरुआत/ और इसके बाद भारतीय उपमहाद्वीप के बारे में भी यह धारणा अब संपुष्ट होगी की कैसे कनवर्टेड रिलिजन टर्न्ड टू बी सेपेरटेड नेशन/
ऐसे में आने वाले दौर में या तो सूफिज्म चलेगा या सेकुलरिज्म चलेगा, इसके अलावा कोई तीसरा विकल्प नहीं चलेगा

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