Friday, July 4, 2014

ब्यूरो क्रेसी को लेकर मोदी जो कवायद कर रहे है उसका गवर्नेंस पर तबतक दूरगामी असर नहीं पड़ेगा जब तक वह नई कार्मिक नीति की घोषणा नहीं करते/ इस नयी नीति के तहत उन्हें सीधे तौर हफ्ते में २ के बदले १ छुट्टी , साल में छुट्टियों की संख्या घटकर ३ , पर्व त्योहारो की छुट्टी स्वैच्छिक करने,सरकारी ऑफिसेस में २ शिफ्ट में ड्यूटी करने , जनता से कॉर्पोरेट की तरह ग्राहक जैसा व्यहार करने, कर्मचारियों की ड्यूटी की परफॉरमेंस ऑडिट करने, फाइलों को तय समय में निपटने और हर सरकारी खर्चे की कॉस्ट एंड आउटपुट एनालिसिस करने' ,कल्याणकारी कार्यकर्मो को सोशल बेनिफिट ऑडिट करने, इ गवर्नेंस का ज्यादा इस्तेमाल करने, क र्मचारियों की उत्पादकता को इंसेंटिव से जोड़ने, हर संसद विधायक को स्थानीय प्रशाशन में जिम्मेदार बनाने, सब्सिडी को बिलकुल समाप्त कर इसके बदले कर रियायतों के जरिये लोगो को राहत देने, मनरेगा को ग्रामीण आधारबूत निर्माण योजना में बदलने , खाद्य सुरक्षा को हटकर व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजना बनाने , आपदा काल के लिए बेहद चक चौकस व्यस्था करने सभी बेघरो को आवासीय पत्ता बनाने, इंदिरा आवास में राशि को पचास हज़ार कर इसमें शौचालाय अनिवार्य करने तथा इसे नयी तकनीक के जरिये तथा मकन बनने पर ही राशि का भुगतान करने के आलावा सभी कृषि उत्पादों के न्यूनतम और अधिकतम कीमत तय करने वायदा कारोबार पर रोक लगाने का काम करे तो महंगई और भ्रस्टाचार की रोकथाम पर एक अच्छी शुरुआत होगी 

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