Thursday, February 4, 2021

भ्रष्टाचार पर एक नयी पुस्तक

 भ्रष्टाचार पर एक नयी पुस्तक 


भ्रष्टाचार के खिलाफ एक धर्मयुद्ध
हां, बिल्कुल। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक धर्मयुद्ध छिडऩे जा रहा है। ए क्रूसेड एगैन्स्ट करप्शन ऑन दी न्यूट्रल पॉथ यानी तटस्थ मार्ग पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक धर्मयुद्ध:, यह एक पुस्तक का नाम है जिसके लेखक है वरीष्ठ पत्रकार मनोहर मनोज। करीब पंद्रह सालों की मिहनत से लिखी गई यह पुस्तक भ्रष्टाचार से जुड़े करीब हर पक्ष की व्यापक पड़ताल करती है। इस पुस्तक के तहत लेखक ने अपने महती शोढ कार्य के साथ साथ समूची व्यवस्था का एक विशद निरीक्षण किया है। पुस्तक में लेखक ने भ्रष्टाचार से जुड़े सभी मुद्दे की अपनी पड़ताल में इसकी राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक, संस्थागत सभी की दुनिया में मौजूद भ्रष्टाचार का बड़े सटीक व अचूक तरीके से रेखांकित  किया है। दो खंडों में लिखी गई इस पुस्तक में करीब कुल 850 पृष्ठ हैं और कुल 9 अध्याय हैं। पहले अध्याय में लेखक ने भ्रष्टाचार के सैकड़ों अर्थ] मायने  व परिभाषाएं खोज निकाल कर उसे प्रस्तुत की है। दूसरे अध्याय में भ्रष्टाचार के राजनीतिक प्रशासनिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक व पारिवारिक पक्ष को पुस्तक व्यापक रूप से उभारा गया है। तीसरे अध्याय में भ्रष्टाचार के विश्व इतिहास से लेकर भारतीय इतिहास तथा दुनिया में मौजूद सभी तरह की राजनीतिक शासन व्यवस्थाओं में भ्रष्टाचार की अवस्था व व्यवस्था का वर्णन है। पुस्तक के चौथे अध्याय में भारत में आजादी के बाद भ्रष्टाचार के प्रसार का घोटाले दर घोटाले सिलसिलेवार व वर्षवार ब्यौरा है। इस अध्याय में आजादी के बाद भारत में स्थापित सभी सरकारों तथा केन्द्र स्तर पर सभी प्रधानमंत्रियों तथा राज्यों में भ्रष्टाचार की वस्तु स्थिति का जिक्र किया गया है। पिछले सत्तर साल में देश में उत्प्रकट हुए सभी घोटालों जो हमारे सार्वजनिक डोमेन में आए, जिनपर न्यायलयों में मुकदमे चले औरउन पर अपने फैसले सुनाये, इन सभी का पूरा ब्यौरा पाठकों के समक्ष पेश किया गया है। पुस्तक के इस अध्याय में लीक हुए तथा संज्ञान में आए घोटालों का जहां जिक्र है वही इस पुस्तक के पांचवे अध्याय में देश समाज व सिस्टम में रचे बसे हर  संभावित तरीके के संरचनात्मक भ्रष्टाचार जिनके बारे में लोगों की एक स्थापित अवधारणा पहले से बनी हुई  है, उसका विहंगम ब्यौरा दिया गया है। इसके तहत लोकतंत्र के चारों अंगों विधायिका, कार्यपालिका न्यायपालिका और मीडिया तथा तीनों टायर केंद्र , राज्य और स्थानीय स्तर  रचे बसे संस्थागत भ्रष्टाचार के साथ साथ देश के हर क्षेत्रों, पेशों में  मौजूद भ्रष्टाचार का पुस्तक में मर्मभेदी जिक्र है। पुस्तक के छठे अध्याय में भ्रष्टाचार की रोकथाम के मौजूदा ढांचे का विशद जिक्र है। इसमे लोकतंत्र के चारो अंग के तहत भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए गठित मेकानिज्म के अलावा देश में मौजूद सभी कानून, नीति, संस्थायें तथा आयोग का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया गया है। इस अध्याय में भ्रष्टाचार पर सभी तरह के रोक व समाधान के सभी संभावित उपाय भी लेखक की तरफ से सुझाए गए हैं। पुस्तक के सातवें अध्याय में भ्रष्टाचार के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का जिक्र है जिसमे संयुक्त राष्ट्र संघ के भ्रष्टाचार पर आहूत सम्मेलनों  व प्रस्ताव के साथ साथ भ्रष्टाचार पर कार्यरत विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का भी जिक्र है। पुस्तक के आठवें अध्याय में भारत में भ्रष्टाचार को लेकर विभिन्न जनआंदोलनों और उनके रहनूमाओं का जिक्र है। इस अध्याय मे देश में विभिन्न आम चुनावों में भ्रष्टाचार के एक चुनावी मुद्दे के रूप में भी पड़ताल की गयी है। 
पुस्तक के अंतिम व नौवें अध्याय में भ्रष्टचार पर पांच श्रेणी के सर्वेक्षण परिणाम दर्शाए गए हैं जिसमे आम नागरिक, सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, उद्योग व व्यवसाय जगत के लोग तथा स्वयंसेवी संस्थाओं तथा मीडिया से भ्रष्टाचार पर उनकी पृष्टभूमि पर पूछे गए सवालों के उत्तर वस्तुनिष्ठ व विषयगत तरीके से समािहत किये गए हैं।
इस पुस्तक के लेखक, मनोहर मनोज इकोनॉमी इंडिया के संपादक व प्रकाशक हैं। अपने कुल पच्चीस सालों के पत्रकारीय जीवन में श्री मनोज के हजारो लेख, कालम व ब्लाग प्रकाशित होते रहते हैं। इसके अलावा वह देश के तमाम टीवी चैनलों मे समसामयिक विषयों पर बतौर विशेषज्ञ शामिल होते हैं। श्री मनोज ने संस्थागत तरीके से भी भ्रष्टाचार के लिए एक संस्था भारत परिवर्तन अभियान स्थापित की है। देश की शासन व प्रशासिनक व्यवस्था जमीनी व निचले स्तर पर कैसे कार्यरत रहती है और उससे लोगों के वास्ते कैसे निष्पादित होते हैं, उसकी पड़ताल के लिए बिहार के पं० चंपारण जिले के करीब 800 गांवों की इन्होने दो बार पदयात्रा की है।
अगले कु छ ही दिनों में विमोचित होने वाली यह पुस्तक कुल मिलाकर देश के कण कण व रज्जे रज्जे में फैले भ्रष्टाचार पर एक विहंगम दृष्टि प्रदान करती है। इसमे भ्रष्टाचार संबंधित तथ्य, दस्तावेज, इतिहास, सूचना, जानकारी का एक इन्सइक्लोपीडिया तो प्रस्तुत किया ही गया है साथ साथ देश की इस सबसे बड़ी व सर्वकालीन तथा सर्वशक्तिशाली सरीखी समस्या पर एक अनूठी पहल व दृष्टि प्रदान की गई है। यह पुस्तक इस समस्या की बड़ी बारीकी से उसके तह पर जाती है और उनका बुनियादी समाधान भी प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक अभी अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है पर इस पुस्तक की आत्मा उन करोड़ों हिंदी व अन्य भारतीय भाषियों से रूबरू होती है जो अपने दैनंदिन के जीवन में इस समस्या का दीदार करते हैं।
लेखक का मानना है कि तटस्थ मार्ग पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक धर्मयुद्ध नामक यह पुस्तक वास्तव में भ्रष्टाचार पर एक संपूर्ण अवलोकन है साथ साथ यह पुस्तक इसका समाधान भी बताती है। लेखक ने इस पुस्तक के फालोअप में एक पुस्तक और लिखी है जो देश में व्यवस्था परिवर्तन पर एक विशद विमर्श प्रस्तुत करती है। लेखक का मानना है कि यह पुस्तक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अबतक लिखी गई दुनिया की सबसे बड़ी पुस्तक है जो आने वाले दिनों में देश  में भ्रष्टचार मुक्त व्यवस्था स्थापित करने में काफी सहायक साबित होगी 
किताब का नाम  ----- ए क्रूसेड एगैन्स्ट करप्शन ऑन दी न्यूट्रल पॉथ
लेखक का नाम-------- मनोहर मनोज
प्रकाशक का नाम               इकोनामी इंडिया पब्लिकेशन, नयी दिल्ली
खंड व कुल पृष्ठ                 2 खंड व कुल पेज करीब 850
प्रकाशन वर्ष                    2019

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