Sunday, July 31, 2016

यह बड़ा दुर्भाग्य है की राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान राष्ट्रीय अस्वच्छता पर अपनी नकेल नहीं डाल पाया। दरअसल इस अभियान के जरिये नेताओ ने झाड़ू के साथ अपने फोटो खींचा कर समाजवादी भारत की भावना को गुदगुदाने के अलावा और कुछ नहीं हो पाया। इस अभियान में सामने के कूड़े को साफ कर देने को ही अपना सबकुछ मान लिया गया । स्वच्छता की मौलिक परिस्थितिया तैयार करने तथा तथा कूड़े के निष्पादन, नालियों के संचालन , ड्रेनेज तथा सीवर नेटवर्क वगैरह को फोकस में नहीं रखा। दूसरी बात की इस अभियान में देश केतीनों लोकतान्त्रिक टायर के बिच का समन्वय मॉडल नहीं विकसित हुआ । लोकल बॉडी प्रशासन की सफाई तथा कूड़े के निष्कासन में महती भूमिका है।
जब तक देश के सभी नगरपालिकायें तथा सभी ग्राम पंचायत को नक़्शबद्ध नहीं किया जाता तथा इन्हें तरीके से नियमित और संस्थापित नहीं कि या जाता तब तक स्वच्छता लाना भारत मे असंभव है.
दिक्कत ये है की हम हर बात को पोलिटिकल डोमेन में ले जाते है। जबकि हकीकत ये है की सारा काम देश के स्थायी प्रशासनिक निजाम को करना है। देखिये जहां अरबो खर्च कर नालियां और ड्रेनेज बने है ,उसकी भी समय समय पर गाद और धूल की मोती परत की सफाई और उसका मेंटेनेंस नहीं होता , बाकि देश के 90 फीसदी हिस्से में तो ड्रेनेज नेटवर्क ही नहीं है , उसकी बात क्या की जाये।

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