Tuesday, July 17, 2018

संजू फिल्म में अंतिम निष्कर्ष यही निकाला गया की संजय भले आशिक, ड्रगिस्ट और परिस्थितिजनक तरीके से टेररिस्ट और बाद में कोर्ट द्वारा आर्म्स- एम्म्युनिस्ट करार दिए गए हों, परन्तु उनकी इस बेहाली में सबसे बड़ा खलनायक मीडिया ही रहा है। पर फ़िल्मकार यह भूल गए की यही मीडिया किसी भी फील्ड के सेलेब्रिटीज़ को आसमान पर ले जाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है तो फिर आप सेलेब्रिटीज़ उसी मीडिया द्वारा आसमान से जमीं पर फेंके जाने के लिए तैयार क्यों नहीं होते। मीडिया से आप पट पाने को तैयार है तो फिर उससे चित्त भी पाने को तैयार रहें ना। मीडिया ,चाहे आप राजनीती के सेलिब्रिटीज हों , फिल्म सेलिब्रिटीज हों या स्पोर्ट्स के, एक लव अफेयर और उसकी स्टोरी सरीखी ही होती है । ऐसा कभी नहीं होता की एक लव स्टोरी में केवल और केवल कॉमेडी ही आये, इसके साथ उसकी ट्रेजेडी भी आना अवश्यम्भावी है. जो आनंद की अनुभूति भी देता है तो फिर गमो के पहाड़ का भी सामना करना पड़ता है।
मीडिया में हैडलाइन के साथ दिल्लगी करना उसका एक ऐसा शगल है एक ऐसा ट्रेंड है जिससे मीडिया कोई बड़ी सौदेबाजी कर करोडो का सौदा करता है, ऐसी बात नहीं। पर एक ऐसी परंपरा बनी हुई है जो हमारे समक्ष फिल्मो में अश्लीलता के रूप में मजूद है , राजनीती में भड़काऊ और ललचाऊ बयानों के रूप में पाया जाता है वगैरह वगैरह। हम चाहते है की मीडिया का देश में वही संवैधानिक स्वरुप बने जो न्यायपलिका का है। यानि केवल और केवल निष्पक्षता। परन्तु मीडिया के लोग जब इस मामले पर या तो अपरिपक्व है या कन्फ्यूज्ड तो क्या कहा जाये । बहरहाल ऐसा नहीं हो सकता की आप सेलब्रिटीज़ मीडिया की मलाई खाना हो तो मीडिया वाह वाह और मीडिया से दुत्कारे गए तो तेरी ऐसी की तैसी। आखिर संजू को आशिक और ड्रगिस्ट बनाने में मीडिया ने तो कोई भूमिका नहीं निभाई थी ना। बहरहाल संजू की एक्टिंग पर्सनालिटी का मै फैन रहा हूँ। मुझे याद आती ही उनकी फिल्म साजन।

No comments:

Post a Comment