Wednesday, July 22, 2015

केज़री ने दिल्ली पुलिस को ठुल्ला सम्बोधित कर बोला। इ स बात पर जो लोग उस पर हमला बोल रहे है वे दरअसल केज़री के पक्षपात पूर्ण विरोधी हैं, यहाँ उसने जो मुद्दा उठाया वह ज्यादा महत्वपूर्ण है ना की सम्बोधन। पुलिस के लोग रेहड़ी पटरी वालो से हफ्ता वसूली करते हैं। यह समूचे समूचे देश का एक बड़ा सच है। इस पर गुड गवर्नेंस वालो की नज़र कब पड़ेगी। इसके लिए पुलिस को गा ली देने से कुछ नहीं होगा जब तक पुलिस सुधारों का रेगुलेशन नहीं आएगा, तब तक पुलिस ठल्लू का ही काम करेगी। केज़री का मै भी विरोधी हूँ परन्तु वहीं जहा उसकी नीयत में खोट दिखती है। केज़रीवाल के साथ दिक्कत ये है की भरष्टाचार और परिवर्तन के बिंदु पर अपने काम के दौरान राजनितिक श्रेय लेने तथा सीधे तौर पर मोदी के सामानांतर खड़ा होने को व्याकुल रहते है/ धन्य हो सोशल मीडिया का जिसने भारत के संसदीय और दलीय लोकतंत्र को व्यक्ति तंत्र में बदल कर इनके समर्थको का एक बड़ा गु ट तैयार कर दिया है./ बीजेपी अब मोदी बन गयी , कांग्रेस राहुल बन गयी तो इस नए राजनितिक दुकान का प्रतिभाशाली और पैतरेबाज डिक्टेटर पीछे क्यों रहे , उसने और तेजी से आप को केज़री में बदलकर बड़े नेता बनने के रेस में आ चुका है.. पर इस नेतागिरी में प्रदेश और जनता का हित पीछे छूट जाता है। मसलन नितीश कुमार को देखिये उन्होंने अपने पहले टर्म में राजनितिक श्रेय लेने के बजाये केबल अपने काम को तवज्जो दी तो बिहार का मध्ययुगीन जंगलराज से कायापलट हो गया पर दूसरे टर्म में जब उनपर विशेष दर्जा और अपनी नेतागीरी का भूत सवार हुआ तो सब कुछ उलटपुलट हो गया। केज़री भी इसी राह पर है।

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