Monday, January 20, 2014

पहले केज़रीवाल ने यह कहा कि दिल्ली में आप से जीते विधायको को लोकसभा का टिकट नहीं दिया जायेगा और इस आधार पर उसने विनोद विन्नी को लोकसभा टिकट देने से मना किया / अब देखिये कल उसने घोषणा की कि अगर पार्टी चाहेगी तो वह लोकसभा का चुनाव लड़ सकते है / ये देखिये इस हिपोक्रेट और पाखंडी को पहली बात कि ये कहना कि पार्टी कहेगी अरे यह तो खुद समूची पार्टी है और उसका अधिनायकवादी नेता है अगर यह लोकसभा चुनव लड़ना चाहते है तो इनका कोई विरोध नहीं कर पायेगा / दूसरी बात कि केज़रीवाल क्या इसीलिए लोकसभा लड़ना चाहते है क्योकि उन्हें यह लग रहा है कि यदि वह दिल्ली की जनता से किये वादे को पूरा नहीं कर पाये और कांग्रेस ने बीच में यदि समर्थन वापस ले लिया तो वह राजनितिक रूप से अप्रासंगिक हो जायेंगे अतः मेरे लिए अच्छा यही है कि लोकसभा में जाकर अपने को राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के लाइन में अपना इम्पोटेंस बनाए रखे / मीडिया इस पोलिटिकल स्टन्टमैन को समझ नहीं पायी / इस व्यक्ति ने भ्रस्टाचार को मुद्दा देश की राजनितिक प्रशंशानिक वयस्था को बदलने के लिए नहीं अपने को राजनेता के रूप में स्थापित करने के लिए बनाया / अन्यथा यह वयक्ति दिल्ली में अभी तक कोई मौलिक सुधारो के बजाये केवल मीडिया कि सुर्खिया बटोरने में लगा है/
मुझे तो आनंद कुमार और योगेन्द्र यादव जैसे बौद्धिकों पर तरस आता है जो इस देश को मौलिक रूप से सोचते है और अब यह पाखंडी केज़रीवाल के अंदर काम करने को लेकर अभिशप्त हो गए है

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