Saturday, January 30, 2021

किसान आंदोलन को लेकर कुछ कथ्य और तथ्य

 किसान आंदोलन को लेकर कुछ कथ्य और तथ्य

भारत के जनांदोलनों के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन
किसानो के अबतक हुए सभी आंदोलन में न केवल यह सबसे बड़ा आंदोलन है बल्कि खेती के सबसे मौलिक मुद्दे पर आयोजित आंदोलन है।
अभी तक किसान आंदोलन बिजली बिल माफ़ी , कर्ज़ा माफ़ी , शहरी जमीन का बेहतर दाम और पहले से लाभदायी गन्ने के फसल के और ज्यादा दाम पाने को लेकर होता रहा जो मुद्दे न किसानों के स्थायी बेहतरी के हक़ में थे और ना ही अर्थव्यस्था की बेहतरी लाने वाले थे। मौजूदा आंदोलन पचपन साल पहले हुआ रहता तो किसानों की माली हालत ऐसी नहीं होती
एमएसपी का प्रयाप्त निर्धारण करना , इसमें सभी कृषि उत्पादों को शामिल करना और फिर इसका कानूनी अनुपालन इनसे किसान के ९५ फीसदी उत्पाद जो मंडी के बाहर बिकते है , उसका बेहतर दाम मिलना तय होगा। इससे अर्थव्यस्था में व्यापक बेहतरी सुनिश्चित होगी। जीडीपी में खेती का योगदान बढ़ेगा
यह ठीक है की यह आंदोलन जो अभी तक नहीं हो पाया था और इस आंदोलन को उकसावा सरकार के नए कॉर्पोरेट खेती कानून के जरिये मिला, यकीन मानिये किसी भी बड़े आंदोलन का मोमेंटम ऐसे ही तैयार हुआ करता है। अंग्रेजो ने भी जब भारतियों को रियायते देनी शुरू की तभी आज़ादी का राष्ट्रीय आंदोलन गति पकड़ता चला गया।
मोदी सरकार को यह भ्रम दूर कर लेना चाहिए की कुछ सौ या हज़ार कोंट्रेचुअल कॉर्पोरेट फ़ार्मिंग से देश भर के किसानो की आमदनी अगले कुछ साल में दोगुनी हो जाएगी। भारत में १५ करोड़ किसान परिवार रहते है , इनके पेशे में बेहतरी को व्यापक गति केवल खेती को लाभकारी बनाकर , जोखिमों से मुक्त कर , बेहतर और उचित दर पर आधारभूत संरचना उपलब्ध कर बनाया जा सकता है
वैसे तो कृषि के साथ कुल मिलकर दस बड़े मुद्दे है जो भारतीय कृषि को कृशकाय बनाये हुए है पर इसमें सबसे अव्वल मुद्दा एमएसपी को लाभकारी और क़ानूनी बाध्यकारी बनाना है।
मोदी सरकार अगर अपने जनविरोधी और किसान विरोधी नौकरशाहों की राय को अनसुनी कर इस एमएसपी को कानूनी रूप देने का एलान कर लेती है , तो उसे इसका श्रेय भी मिलेगा जो पिछले पचपन साल में नहीं हो पाया
मोदी सरकार मंडियों को जारी रखने और एमएसपी को जारी रखने का बयान देकर इस मुद्दे का महज विषयांतर कर रही है। सरकार को जनवितरण प्रणाली चलने के लिए अनाज तो खरीदना ही पड़ता है तो वह खरीदेगी ही तो इसके जरिये किसानो के ढाढस देने का कोई मतलब नहीं
कई लोग कहते है की यह आंदोलन पंजाब हरियाणा और सिख किसानों का है। भाई आंदोलन हमेशा ही ताकत से आता है। महिला मुक्ति आंदोलन हो , दलित पिछड़ा आंदोलन हो ,देश की आज़ादी का आंदोलन हो सभी में समाज के एलिट लोगों ने ही उसमे अगुआ रोल अदा किया। ऐसे ही किसानो का यह आंदोलन बेहद ताकतवर और अमीर किसान कर रहे है पर इसका मुद्दा देश के सभी किसानो से वास्ता रखने वाला है
किसानो का इस कडकडाती ठण्ड में किया जा रहा करीब एक महीने से किया जा रहा यह त्याग देश की तक़दीर बदलेगा। अगर हुकूमत अपने फॉर्मूले पर कायम रहेगी तो फिर वह किसानों के आह की अग्नि से भस्म हो जाएगी
हम तो यही उम्मीद करेंगे की लोगों को तुरत सद्बुद्धि जगे

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