Saturday, February 21, 2015

व्यक्ति और विचारो में अंतर क्या होता है, इसकी बानगी देखिये /बीजेपी के एक विज्ञापन में राजनितिक प्रजाति के लिए गोत्र शब्द का क्या प्रयोग हुआ, केज़रीवाल ने उसे तुरत जातीय रंग दे दिया, उस व्यक्ति ने जो अपने को आंदोलन और व्यस्था परिवर्तन की कोख से पैदा हुआ बताता है/ केज़रीवाल ने जिस स्टाइल में अपने को अग्रवाल जाती का व्यक्ति बताया, वैसा तो जातिवादी राजनीती के चैंपियन लालू , मुलायम और मायावती ने अपनी जाती को लेकर अपना वक्त्य्व नहीं दिया होगा / दूसरी बानगी देखिये आज बीजेपी के विज़न डॉक्यूमेंट में उत्तर पूर्व लोगों के लिए migrant के बदले imigrant शब्द प्रयोग हो गया , कांग्रेस के नेता अजय माकन ने बड़ी ही जिम्मेवारी और राष्ट्रीय जज़्बे से बीजेपी की इस गलती की तरफ इशारा किया जिस कार्य मे उन्हें कोई राजनितिक नफे नुकसान भी नहीं मिलना था और बीजेपी ने भी तुरंत अपनी गलती स्वीकार भी कर ली /
आज केज़री कह रहे है की उन पर और उनकी पार्टी पर पिछले एक महीने से कीचड़ उछाला जा रहा है / अरे पिछले तीन साल से केज़री तुम दिन रात लोगो पर कीचड़ उछाल रहे थे / हमारे जैसे कई लोग लगातार अपने लेखन और टीवी डिबेट में यह कह रहे थे की भ्रष्टाचार का उन्मूलन कभी भी व्यक्तियों पर हमला कर नहीं , व्यस्था पर हमला कर ही किया जा सकता है/ उ स सिस्टम के बारे में केज़री जि से ढेले भर की समझ नहीं, उसके द्वारा सुधा र उपायों को लाना तो बहुत दूर की बात / हा व्यक्तियों पर हमला कर भ्रस्टाचार की केवल राजनीती की जा सकती है इसका उन्मूलन नहीं हो सकता/ और यही कार्य आप अब तक कर रही थी / पर अब केज़री को जब बीजेपी के विज्ञापनों ने और रोज के पांच सवालों ने पूरी तरह बेनकाब कर दिया तब वह उसका जवाब देने के बजाये यह कह रहा है की उस पर कीचड़ फेका जा रहा है / भाई केज़री भरस्टाचार इतना सिंपल सब्जेक्ट नहीं है जो किसी व्यक्ति विशेष पर आरोप लगा देने भर से उसकी इतिश्री हो जायेगी / यह भ्रष्टाचार समस्या समूची व्यस्था के ताने बाने से जुड़ा और इंटरकनेक्टेड है /
जिस शीला को आप पार्टी भ्रस्टाचार की प्रतिक बता रही थी /, मुझे मालूम है शीला पहले और दूसरे टर्म में निजी तौर पर पूरी ईमानदार थी , पर तीसरे टर्म में सिस्टम के करप्शन की वह मूकदर्शक बनकर रही जिसके परिणति कामनवेल्थ घोटाले के रूप में आई / केज़री अपने पोस्टर में लिखता है मै ईमानदार और हस्ते चेहरा वाला हु और दूसरे रोनी सूरत वाले बेईमान और अवसरवादी है / मै दावे के साथ कह सकता हु अगर पांच साल केज़री मुख्य्मंत्री रहा तो वह और उसकी पार्टी शीला से दस गुना ज्यादा करप्ट बनकर निकलेगा / क्योकि इनके लोकपाल की भी काट निकल जाएगी / देखिये मीडिया से करप्शन का बड़ा वाचडॉग कौन हो सकता है , पर व्यापक सुधारो के आभाव में वह भी इस करप्शन के इस सिस्टम में शामिल हो गयी है /आदमी के असली चरित्र का पता तब लगता है जब उसे पावर दे दिया जाता है / केज़री के सारे तौर तरीके बेहद खतरनाक रहे है और अभी वह अपनी सारी ताकत राजनितिक करियर और अपनी महत्तकांछा की प्राप्ति के लिए लगा रहा है / तभी इस चुनाव में उसने पिछले लोकसभा चुनाव के सभी चंदे की १०० करोड़ की राशि केवल अपनी ब्रांडिंग में लगा दी / हो सकता है केज़री यह चुनाव जीत जाये पर मै इस बात को डंके की चोट पर कहने जा रहा हु की यह व्यक्ति और इसके नियंत्रण की यह पार्टी देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा कलंक साबित होगी/ इसमें लोकतंत्र की तमाम पुरानी और नयी गंदगी चाहे वह पहचान की राजनीती हो , झूठ अफवाह और अनर्गल आक्रामकता का प्रदर्शन हो और लोकलुभावन घोषनाये और लोक उकसावन शैली की राजनीती का बीजारोपण हो, इनका एक नया दौर शुरू होने वाला है /
बीजेपी और कांग्रेस पुरातन शैली के परंपरागत राजनितिक दल थे , उन पर कई कई सवालीआ निशान हो सकते है, परन्तु इनके मुकाबले कोई नया दल हमें तभी शिरोधार्य होगा जो उनसे कई गुना ज्यादा बेहतर ,आदर्शवादी , सिद्धांतवादी हो/ पर टोपी वाली यह पार्टी अपने पहले दिन से ही लोगो को टोपी पहनाना शुरू कर दिया था और अब जब ये वैचारिक रूप से चारो तरफ से घिर गए तब चिल्लाने के बजाये सिसकने लगे है / केज़री कहता है की महंगाई वह कम करेगा/ अगर महंगाई राज्य सरकार काम कर सकती तो शीला पिछला चुनाव हारती ही नहीं / केज़री अपने पोस्टर में लिखता है दिल्ली में दाल की कीमत 120 रुपये प्रति किलो जब की अरहर दाल 85 रुापये है , गोभी 35 रुपये जबकि इसकी खुदरा कीमत 15 रुपये प्रति किलो है / 
अंत में मै यही कहूँगा इस देश में partisan थिंकिंग और लप्फाजी के बजाये देश के तमाम क्षेत्रोँ , संस्थाओं और समूच व्यस्था की पूरी रीती नीति में सम्यक बदलाओ हेतु व्यापक कार्य की जरूरत है / जैसा एक कार्य ADR कर रही है , शुक्र है वे लोग दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के लिए ये कार्य नहीं कर रहे है / परन्तु केज़री और किरण भरष्टाचार पर नहीं अपनी राजनितिक करियर बनाने के लिए लोकपाल आंदोलन का प्रपंच चला रहे थे , यह बात तो पूरी तरह स्पष्ट हो गयी है /

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