i think the ticket distribution in BJP has validated the concept of defection-ism as well as the adjust ism in the candidate selection. there is no deep imagination and logic behind granting of ticket. this party thinks everything is namo namo. it would be just a trisitory phenomenon for the BJP. If BJP and other conventional parties do not opt systemat ism, idealism and sense of reasonability in their whole politicking activities, they would fed away and party like AAP and other potential parties would replace them very soon. because country need an urgent political reform and a new political culture
It is name of my column, being published in different print media.It is basically the political-economic comments,which reflects the core ideology, observation and suggestion related to different socio-economic problems of the country as well as the factors which are instrumental for the complete change in the system.
Monday, March 24, 2014
Thursday, March 20, 2014
यकीं मानिये कोई भी राजनितिक दल देश में एक आदर्श और समुचित प्रतिनिधि लोकतंत्र नहीं स्थापित करना चाहते, उनकी मंशा अपने दल को एक मनमाफिक मठ और अपने को एक मठाधीश के रूप में स्थापित करना है/ यही वजह है कि उनके लिए चुनावी उम्मीदवार उस छेत्र लिए कोई कोई एक क्वालिटी प्रतिनिधि नेता नहीं बल्कि उनके अंकगणित का स्टॉक माल हो, जो उनके लिए विधानमंडलों में सिर्फ हाथ उठाकर उनकी हां में हां करने वाला हो / बीजेपी कि बात करे तो वह मान कर चले है कि केवल मोदी कि लहर से सब काम करना है / व्यक्तिवादी अधिनायकवादी एकेंद्रवादी दलियवादी व्यस्था वास्तविक लोकतंत्र और दक्ष शासन की राह में एक बहुत बड़ा कैंसर है / आने वाले दिनों में भी पीएम और सीएम के अलावा लोकतान्त्रिक शासन व्यस्था का केवल दो फेस रहेगा जो देश कि सभी जनता से रुबरु हो , यह सम्भव ही नहीं / ब्यूरोक्रेसी का बोलबाला अभी बदस्तूर जारी रहेगा
Subscribe to:
Posts (Atom)