मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर मोदी के अंध समर्थको में तो आत्मसलाधा की पराकाष्ठा चल रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी के फैशनेबुल विरोधियो के लिए कुछ कहने को कुछ खोजे नहीं मिल रहा है / निस्पछ विश्लेषण तो मोदी के काम को मिला जूला कर सही तो मान रहा है / परन्तु इंतजार उस दिन का है जब मोदी का यह लोकप्रियतावाद किसी घटनाक्रम में इस तरह फस जाये और वह अलोकप्रियतावाद की और मुखातिब हो जाये पर तब भी पार्टीजन समर्थक इसका समर्थन करेंगे, जरूर करेंगे बल्कि पूरे थेथरपने के साथ करेंगे और पार्टीजन विरोधी खिलाफ में विस्फोट करेंगे'/ परन्तु एक बात यहाँ कहना जरूरी है की सेना की लड़ाई को पार्टिया चुनावी मुद्दा बनाती है परन्तु सेना के मसले में उनसे कुछ उखरता तो है नहीं / मसलन सैनिको का गला काटे जाने का बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था / परन्तु अब क्या हो रहा है हमारे जवानो की जाने जा रही है। क्या कर पा रही है बीजेपी/ कोई सरकार इतनी आसानी से युद्ध की घोषणा भी नहीं कर सकती/ बड़े सेना विशेषज्ञों का कहना है भारत बेहद आसान तरीके से अपने जवानो को खोता जा रहा है/ पिछले सौ दिनों के दौरान राष्ट्र के सामने इन्ट्रोस्पेक्शन का यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है/ मेरी नजर में मोदी जी सबसे बड़ी उपलब्धि है विदेशी मोर्चे पर किया गया प्रदर्शन वह भी अकेले, बिना विदेश मंत्री सुषमा का साथ लिए, है ना सच