Pages

Sunday, July 22, 2018

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव चर्चा में शुरू तीन भाषणों के उपरांत कुछ बातें पोस्ट करने के लिए विवश हुआ। टीडीपी के सांसद ने अपने शुरुआती भाषण में जिस तरह से बातें रखी , उससे यह अहसास ही नहीं हुआ की ऐसा भाषण भी लोकसभा में दिया जा सकता है। पूरी तरह से एक शानदार ऐकडेमिक तरीके से दिया गया भाषण जिसमे आंध्र के बटवारे और फिर शेष राज्य के रूप में इस के साथ हुई उपेक्षा का इतने अचूक तथ्य , आंकड़े और दृष्टांतो के साथ प्रस्तुतीकरण इस टीडीपी के नए सांसद ने रखी इससे इस आशा को बल मिलता है की आने वाले दिनों में संसद में इसी तरह की प्रस्तुति की संस्कृति स्थापित हो। इस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे का रंग बिलकुल उड़ा हुआ था। उन्हें इस बात का अहसास हुआ होगा की राजनीती केवल टैक्टिस से नहीं , उसके न्यायोचित समाधान से ही रास्ता निकलता है।
बीजेपी के राकेश सिंह जो मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने है , उनका उद्बोधन तो एक नेता का भाषण नहीं, बल्कि एक फिल्म कलाकार की एक शानदार संवाद अदायगी लगती है। उनका एक कथन की यह सरकार स्कैम की नहीं स्कीम्स की है , अर्थपूर्ण थी। परन्तु बाद में उन्होंने इस अवसर का दुरूपयोग आने वाले महीनो में राजस्थान , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावो को देखते हुए इन राज्यों में बीजेपी सरकार के काम के सरकारी आंकड़े गिनवाने में किया।
राहुल गाँधी ने शुरू में मोदी सरकार की तीन बड़ी विफलताओं बेरोजगारी , नोटबंदी और जीएसटी पर बेहद अचूक और सही हमला किया। फिर उन्होंने राफेल सौदे पर भी इस मोदी सरकार को बड़ी बढ़िया तरीके से घेरा। परन्तु बाद में राहुल की अपरिपक्वता साफ साफ दिखी। उन्होंने जिस तरीके से कहा मोदी मेरे से आंख में आंख नहीं मिला रहे है। यह एक बेहद बचकाना लगा। ऐसा ही राहुल ने सुषमा स्वराज को ललितगेट स्कैंडल के दौरान कहा था। इसके बाद राहुल ने जिस तरह से किसानो के लोन माफ़ी का सवाल उठाया वह कांग्रेस की उस पॉपुलिस्म राजनीती का हिस्सा था जिससे देश का आर्थिक कबाड़ा निकला और इस पार्टी की 2014 में इस वजह से हार हुई। किसान के लोन माफ़ी की बड़े कॉपोरेट के ढाई लाख करोड़ की किस क़र्ज़ माफ़ी से तुलना कर राहुल ने कही। मुझे देश की अर्थवयस्था की जो जानकारी है , उसमे मुझे ऐसा कोई तथ्य नहीं दिखा जहा ढाई लाख करोड़ की कोई क़र्ज़ माफ़ी कॉर्पोरेट के लिए की गई है। सबसे पहले कांग्रेस पार्टी और राहुल को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए की किसान के लिए सबसे बड़ी भलाई उनके सभी उत्पादों की एमएसपी बढाने में ही छिपी है। क़र्ज़ माफ़ी एक आपराधिक कदम है। हाँ राहुल कॉपोरेट पर इसके लिए हमला बोल सकते थे की इस देश के बैंको के 9 लाख करोड़ के फंसे क़र्ज़ का दो तिहाई क़र्ज़ कॉर्पोरेट ने लिया हुआ है , उन सभी को सरकार फांसी पर क्यों नहीं लटकाती जिसके लिए मै अपना समर्थन देने को तैयार हूँ। सेकुलरिज्म को लेकर राहुल को कहना चाहिए था की बीजेपी और आरएसएस हिंदुत्व की राजनीती बंद करे और हमारी पार्टी मुस्लिम की राजनीती बंद करे तो फिर देश में सेकुलरिज्म अपने आप आ जायेगा। 

No comments:

Post a Comment