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Sunday, October 11, 2015

केंद्र में भारी बहुमत पाने के बाद हुए कई उपचुनावों में जब भाजपा की हर होती चली गया तो तदोपरांत प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य विधानसभा के चुनावो में खुद मुख्य प्रचारक की भूमिका संभाली। पहले हरियाणा, महाराष्ट्र , जम्मू कश्मीर और झारखण्ड सब जगह मोदी ने मतदाताओ से यह कहा की हमें एक बार मौका दे दो ,मैं सूद व्याज के साथ आपके सारे देनदारियां चूका दूंगा। सिर्फ ६ महीने में समूचे राज्य का सिस्टम बदल दूंगा। एक एक कर सभी राज्य में मोदी ने यही उद्बोधन लोगों के समक्ष रखा। इन सभी राज्यों में हमें तो नहीं लगता की मोदी के मनमाफिक मुख्यमंत्री बनने के अलावा वहा के गवर्नेंस और उसके सिस्टम में कोई मुलभुत सुधार आया है। ना ही इन राज्यों में मोदी गवर्नेंस के हालचाल और अपने वादे की समीक्षा करने गए है। यही जुमला अभी मोदी बिहार में अपनी तमाम मीटिंगों में दुहरा रहे है।
क्या लोग हर बार इस जुमले पर विश्वास कर लेंगे। इससे मोदी जी जिस विशव्सनीयता यानि क्रेडिबिलिटी के लिए जाने जाते है उस पर भारी बट्टा लगेगा। मोदी की केंद्र सरकार OROP के मामले में अविश्वसनीय साबित हुई, काफी हिल हुज़्ज़त बाद इसे लागू किया गया। इसी तरह सैनिक वॉर मेमोरियल की पहले बजट में घोषणा हुई पर इस कैबिनेट स्वीकृति अब जाकर मिली है लगता है यह अगले 5 साल के बाद ही तैयार होगा।
बिहार में नरेंद्र मोदी की सुशासन की घोषणा लोगों के गले नहीं उतरेगी क्योकि वहाँ पहले से सुशासन बाबू बैठे हुए है। अलबत्ता नमो उनके विगत के धोखे और लालू के जंगल राज पर ही कुछ जनता की सहानभूति पा सकते है। परन्तु यह सबको मालूम होना चाहिए दोनों न नाम के शख्श नरेंद्र और नितीश एक ही शैली के राजनेता है और दोनों के अपने अपने ईगो एक दूसरे से सींग लड़ाने को मजबूर किये है.
यह बात अलग है की यदि बिहार में भाजपा नहीं जीतती है तो आने वाले दिन नरेंद्र मोदी और उनकी कोएट्री के लिए काफी भारी पड़ेगा और नितीश चुनाव जीत कर भी अपने बेमेल साझीदार के वजह से अपना रास्ता निष्कंटक नहीं रख पाएंगे। पर इसका यह मतलब नहीं की मैं वहाँ के चुनाव परिणाम पर कोई भविष्वाणी कर रहा हु, क्योकि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ। हमारा काम पॉलिटिकली राइट एंड रोंग का पर्दाफाश करना और एक्चुअली राइट एंड रोंग को हाईलाइट करना है।

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