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Saturday, October 4, 2014

सार्वजानिक जीवन में भ्रस्टाचार उन्मूलन और सार्वजनिक स्थानों पर गन्दगी व अव्यस्था का उन्मूलन से बड़ा अभियान तो कुछ हो ही नहीं सकता / परन्तु भ्रस्टाचार उन्मूलन के लिए कुछ राजनेताओ और कुछ अफसरों का न्यालालय या जाँच एजेंसियों के दायरे में आ जाने से या सफाई के बहाने कुछ गणमान्य लोगो द्वारा झाड़ू उठा लेने से इसकी पोसचरिंग तो अच्छी हो जाती है परन्तु इसका संपूर्ण समाधान ढेरो सारी नीतियों, लम्बी कार्ययोजना और सामने आने वाली तमाम बाधाओं के व्यस्थागत उपायों से ही संभव है/ बहरहाल आज का मौजू भ्रष्टाचार नहीं सफाई है और पहली बार इसे मिशन का रूप दिया गया जो अपने आप में यह बेहतरीन भावना है / परन्तु सफाई से ज्यादा जरूरी गारबेज के निष्काशन की प्लानिंग कैसी है / यह इम्पोर्टेन्ट है / इसमें R AND डी का भी रोल बहुत बड़ा है / मिसाल के तौर पर ग़ाज़ीपुर सब्ज़ी मंडी के पास बारहमासी कूड़े और पोलिथिन का ढेर लगा रहता है / मुझे लगा आज इस पवित्र दिन पर इसका बेडा पार लग जायेगा , पर ऐसा हो नहीं सका / कही न कही यह सफाई नहीं कूड़ा प्रबंधन की विफलता है/ उम्मीद है यह देश का यह सफाई मिशन जो अगले पांच साल चलेगा और इसमें करीब सवा लाख करोड़ खर्च किये जायेंगे तो ग़ाज़ीपुर जैसे देश में कई कुरे के ढेर समाप्त हो जायेंगे/ सबसे बड़ी चुनौती छोटे नगरपालिका वाले शहर है जहा कभी औपचारकता में भी झाड़ू नहीं लगता

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